गरियाबंद सामान्य वन मंडल के विभिन्न वन परिक्षेत्रों में अवैध चराई

गरियाबंद। जिले के सामान्य वन मंडल के विभिन्न वन परिक्षेत्रों में अवैध चराई खुले आम हो रही है।
आपको बता दें कि बरसात का मौसम लगते ही बड़ी संख्या में राजस्थान गुजरात व अन्य क्षेत्रों से आये भेड़ – बकरी पालक हजारों की संख्या में भेड़ बकरी ऊंट व अपने घोड़ों के साथ आकर जिले के जंगलों में डेरा डाल देते हैं।

E 82°19′ 45″
अक्षांश (Latitude): 20.6344°N
देशांतर (Longitude): 82.3292°E
📍 यह स्थान छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद ज़िले के जंगल क्षेत्र में आता है। यह इलाका उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व और उसके आसपास के वनों में पड़ता है।
इन दिनों धवलपुर,छुरा,और सड़क परसूली जैसी फारेस्ट रेंज में हजारों की संख्या में भेंड़ बकरियों और अन्य पालतू जानवरों को लाकर अनेक बाहरी लोग चराई में लिप्त हैं।
इससे इन वन परिक्षेत्रों का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। इन भेंड़ बकरियों की वजह से जंगलो में नुकसान दायक खरपतवार उत्पन्न हो रही है, जो स्थानीय जंगल के पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रही है।
इस तरह की अवैध गतिविधि से जंगल के वन्यप्राणियों के जीवन चक्र पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
आज कल धवलपुर रेंज के सिकासेर, मारागांव, पंडरीपानी के जंगलों में बड़ी संख्या में राजस्थान गुजरात से आये भेंड़ पालकों का डेरा लगा हुआ है।
इधर सरकार वृक्षारोपण/पौधरोपण के अभियान के तहत करोडों रु खर्च कर रही है,( ये पैसा जनता का है ) और उधर ये बाहरी भेड़-बकरी के चरवाहे जंगल को नष्ट करने पर तुले हुये है। इसके दूरगामी दुष्परिणाम सामने आने वाले हैं। ऐसी अवैध गतिविधियों की वजह से धीरे-धीरे हमारे छत्तीसगढ़ के जंगल बियाबान मैदान में तब्दील होने की कगार पर है।
इससे इस क्षेत्र में होने वाली बारिश प्रभावित होगी, आने वाले समय में या तो अतिवृष्टि होगी या अल्पवर्षा से नदी तालाब खेत सूखे पड़े मिलेंगे। आज भी जब ये स्थिति है कि जमीन के अंदर,अनेक क्षेत्रों में 500 -600 फ़ीट की गहराई तक भी पानी नही मिल पा रहा है। चंद रुपयों के लिये, ये बाहरी चरवाहे हमारे प्राकृतिक संसाधनों का खजाना लूट रहे हैं। कहते हैं कि एक बार जिन पौधों पर भेड़-बकरियों का मुंह चल जाता है, फिर उन पौंधों का फलना-फूलना नही हो पाता, इसीलिये छत्तीसगढ़ में कहावत है कि “छेरी के चरे..अउ कचहरी के चढ़े.. कभू नई उबरे,

आपको बता की करीब एक माह पहले उदंति सीतानदी अभयारण्य क्षेत्र में अवैध चराई के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही की गई थी। किन्तु सामान्य वन मंडल अंतर्गत इन पर किसी तरह की कार्यवाही ना करना एक बड़ा सवाल है।