साफ-सफाई के नाम पर 4 माह में उड़ा डाले लगभग 31 लाख रूपये

कागजों में स्वच्छता का खेल,गाँवो में गंदगी का ढेर : देवभोग ब्लॉक में भ्रष्टाचार से बदहाल सफाई व्यवस्था..
गरियाबंद। जिले के देवभोग जनपद अंतर्गत शासन द्वारा पंचायतों को मिलने वाली 15 वें वित्त की राशि का दूरुपयोग खुलेआम देखने को मिला हैं,जनपद पंचायत देवभोग के 53 पंचायतों में से 40 ग्राम पंचायतों में साफ-सफाई के नाम पर विगत 3 से 4 माह में लगभग 31 लाख रूपये का आहरण किया हैं, जबकि गंदगी और कूड़े के ढेर अपनी जगह विद्यमान है।

ग्रामीणों के मुताबिक गांव की गलियों में साफ-सफाई सिर्फ कागजों में की गई है। जबकि स्वच्छता कि जमीनी हकीकत कुछ ओर बयां कर रही हैं, ग्राम पंचायतों द्वारा कार्य योजना को दरकिनार कर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और सफाई के नाम आहरित राशि ही साफ कर दी जा रही है।
देवभोग जनपद की 40 पंचायतों द्वारा स्वच्छता के नाम पर आहरण की गई राशि में भ्रष्टाचार की बू आने लगी हैं जिसका भौतिक सत्यापन किया जाये तो दर्जनों से ज्यादा पंचायतों से राशि रिकवरी की जा सकती हैं।
कार्य योजना ठंडे बस्ते में,ग्राम सभा का अस्तित्व ख़त्म…
ग्राम पंचायतों को किसी भी सरकारी योजना या कार्ययोजना पर काम करने से पहले ग्राम सभा की मंजूरी लेना होता हैं। जबकि इसके विपरीत ब्लॉक के ग्राम पंचायतों में देखने मिल रहा हैं,कार्य योजना महज खानापूर्ति के लिये बनाई जाती हैं,और इसके बाद कार्ययोजना को दरकिनार कर दिया जाता है, कमीशनखोरी सर्वोपरि हो जाता है।
जनपद पंचायत देवभोग अंतर्गत साफ-सफाई के नाम बंदरबाट यह दर्शाता है कि कोई भी काम नियमों के तहत नहीं किया जा रहा है, जिससे धनराशि का दुरुपयोग लगातार होते जा रहा है, जनप्रतिनिधियों द्वारा बिना किसी उचित कार्ययोजना के मनमाने ढंग से शासकीय राशि खर्च की जा रही है,जिस पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं हैं,जिसका सीधा असर विकास कार्यों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर पड़ता है।
बोगस फर्मों को राशि भुगतान,जीएसटी नंबर एक्टिव पर जीएसटी कर का भुगतान नहीं…
ग्राम पंचायतों में राशि भुगतान के लिये प्रस्तुत किये जाने वाले बिलों का जीएसटी पंजीयनतो नजर आता है लेकिन कई फर्मों ने विगत 2,3 वित्तीय वर्षों से रिटर्न्स कर का भुगतान ही नहीं किया हैं,जिससे सरकार को लाखों रूपये का राजस्व नुकसान हो रहा हैं।
देवभोग ब्लॉक में अनेक ऐसी पंचायत हैं जहाँ बोगस बिल लगाकर लाखों रु की राशि का बंदरबाट किया गया हैं,सही मायने में विभाग सेवा टैक्स पंजीयनकर्ताओ कि जाँच करें तो एक बड़े फर्जी बिल सिण्डिकेट का खुलासा हो सकता हैं, इसके अलावा इन फर्मो के पास जिस सामग्री के लिये बिल भुगतान किया गया हैं वह सामग्री ही पंचायतों में उपलब्ध नहीं हैं।
जनप्रतिनिधि पंचायतीराज अधिनियम के धारा 40 की उड़ा रहें हैं खुलेआम धज्जियाँ…
जिसे जनता ने अपने ग्राम विकास के लिये अपना प्रतिनिधि बनाया वही अब जनता से विश्वासघात कर सिर्फ और सिर्फ अपना विकास करने में लगे हुये हैं।
इस क्षेत्र में कुछ सरपंचों और सचिवों ने पंचायतीराज अधिनियम का मजाक बना रखा है,और उनके इस भ्रष्टाचार में सरकारी तंत्र के लोगों भी खुलकर साथ दे रहे है,उनकी भी कहानी की लंबी फेहरिश्त है,सरकारी तंत्र के मिलीभगत से आज भी गाँवो का विकास से कोसों दूर है।
पंचायतीराज एक अहम व्यवस्था है। पंचायतों से ही गांवों के विकास की रूपरेखा तैयार होती है। गावों में विकास कार्य करवाने में पंचायतें ही अहम भागीदारी निभाती हैं। यह सही है कि पंचायतों की ओर से करवाए जा रहे कार्यो से गांव तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन एक ओर जहां विकास कार्य हो रहे हैं। वहीं, प्रतिनिधियों की ओर से कई प्रकार के घोटाले भी समय-समय पर उजागर होते रहते हैं। ऐसे में पंचायतों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी हैं..?
फिलवक्त यही देखने में आ रहा है कि जनपद पंचायत देवभोग के दर्जनों पंचायतों में जहाँ सरपंच स्वयं को फायदा पहुंचाने के लिये खुद के रिश्तेदारों की बोगस फर्मों के नाम बिल लगा कर राशि आहरण करने से बाज नहीं आ रहें हैं, जिम्मेदार इन सभी मामलों से वाकिफ है किंतु जानबूझ कर अनजान बने हुये हैं!