जल जीवन मिशन को लेकर कलेक्टर ने अख्तियार किया सख्त रुख : 12 ठेकेदारों को कारण बताओ नोटिस

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निर्धारित समय में कार्य पूर्ण करने की चेतावनी

◆हर घर नल-जल कनेक्शन से हितग्राहियों को करे लाभान्वित,

◆कार्यों में अनावश्यक विलंब करने पर अनुबंध समाप्त कर एजेंसी ब्लैक लिस्ट की होगी कार्रवाई …

किरीट ठक्कर गरियाबंद । कलेक्टर बी.एस.उइके की अध्यक्षता में आज मंगलवार जिला जल एवं स्वच्छ्ता मिशन की बैठक आहूत की गई थी।

कलेक्टर उइके ने बैठक में मिशन के तहत कार्यों में शामिल निजी एजेंसीयों एवं ठेकेदारों से जिले में चल रहे कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली, उन्होंने विकासखण्डवार जल जीवन मिशन के तहत जारी कार्यों एवं ग्रामवार संबंधित एजेंसी को आबंटित कार्यों की विस्तृत जानकारी लेकर प्रगति की समीक्षा की।

कलेक्टर उइके ने बैठक में कहा कि लोगों को पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित करने भारत सरकार के निर्देशानुसार जल जीवन मिशन संचालित किया जा रहा है, इस मिशन के तहत नल-जल कनेक्शन के कार्यो को निर्धारित समय में पूर्ण करें , जिससे लोगों को पेयजल की सुचारू सुविधा मिलती रहे।

उन्होंने मिशन के तहत सभी कार्यों में गंभीरतापूर्वक कार्य करने एवं कार्यो को गुणवत्ता पूर्ण तरीके से पूर्ण करने के निर्देश एजेंसियों एवं ठेकेदारों को दिये। कलेक्टर ने कार्यों में धीमी प्रगति एवं अनावश्यक विलंब करने वाले एजेंसियों का अनुबंध समाप्त कर संबंधित एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करने की भी कार्रवाई करने के निर्देश दिये । उन्होंने कहा कि कार्यो में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उन्होंने कहा कि लंबित कार्यों को अधिक संख्या में श्रम बल लगाकर पूर्ण किया जाये।

कलेक्टर ने जल जीवन मिशन के सब इंजीनियरों को भी कार्यों की गंभीरता पूर्वक मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिये, कहा कि कार्यों की उचित निगरानी नहीं रखने पर संबंधित इंजीनियरों की भी जवाबदेही तय की जायेगी।

कलेक्टर ने बैठक में अनुपस्थित 12 ठेकेदारों एवं एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी करने के निर्देश दिये है । इस दौरान बैठक में ईई पीएचई विप्लव घृतलहरे सहित सभी एसडीओ, निजी एजेंसियों के प्रतिनिधि एवं ठेकेदार गण मौजूद रहे।

योजना पर अब तक 11,600 करोड़ खर्च

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2024 तक ग्रामीण घर में स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने का वादा किया गया था, किन्तु गरियाबंद सहित पूरे छत्तीसगढ़ में यह योजना कागजी भ्रष्टाचार का एक शानदार उदाहरण बन गई है। छत्तीसगढ़ में इस योजना पर अब तक 11,600 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, फिर भी नल सूखे पड़े हैं और ग्रामीण पानी के लिये तरस रहे हैं।

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