सरकारी नौकरी का मुखौटा और बाजार का जुआ, छत्तीसगढ़ सरकार ने ट्रेडिंग को माना अपराध…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय सेवा में व्याप्त बाजारिया लत, सट्टेबाज़ी और क्रिप्टो की हवस पर अब सीधे एक्शन लिया है। राज्य शासन द्वारा प्रकाशित ‘राजपत्र (क्रमांक 516)’ 30 जून 2025 में सरकारी कर्मचारियों द्वारा शेयर, क्रिप्टो, और डेरिवेटिव ट्रेडिंग को ‘अवचार’ यानी सेवा नियमों का उल्लंघन घोषित कर दिया है।

यह कदम उन ‘दोहरी ज़िंदगी’ जीने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सीधा युद्ध है – जो एक तरफ सरकारी वेतनभोगी हैं और दूसरी ओर मुनाफे की हवस में इन्ट्राडे, BTST, ऑप्शंस और क्रिप्टो बाज़ार में जुयेबाज़ बन चुके हैं।

सरकार का स्पष्ट संदेश है सरकारी नौकरी या सट्टा – दोनों नहीं चलेगा : सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी इस अधिसूचना के अनुसार अब
“शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचर्स, म्युचुअल फंड्स और क्रिप्टोकरेंसी में बार-बार खरीद-बिक्री, इन्ट्राडे ट्रेडिंग, फ्यूचर-ऑप्शन और BTST जैसी गतिविधियाँ ‘अवचार’ यानी अनुशासनहीनता मानी जाएगी।”

यानी अब यदि कोई क्लर्क, पटवारी, इंजीनियर, अफसर या कोई भी शासकीय सेवक शेयर ट्रेडिंग में लिप्त पाया गया तो उसे सिर्फ फटकार नहीं, नौकरी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है।
इस फैसले के कई कारण बताये जा रहे हैं जैसे कि कई कर्मचारियों के ऑफिस टाइम में ट्रेडिंग एप्स पर सक्रिय रहने की पुष्टि हुई है, कुछ अधिकारियों के क्रिप्टो पोर्टफोलियो में करोड़ों की उछाल भी देखी गई है, कुछ मामलों में इनसाइडर जानकारी का दुरुपयोग कर मुनाफा बटोरने की शिकायतें भी मिलीं है।
सरकार को शक है कि बेहिसाब मुनाफा, मनी लॉन्ड्रिंग और बेनामी निवेश का जाल अब सेवा क्षेत्र में अंदर तक घुस चुका है।

संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत आदेश – अब नियम ही कानून है : राज्यपाल के नाम से जारी यह आदेश अब राज्य भर के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिये बाध्यकारी होगा।

संविधान के अनुच्छेद 348(3) के अंतर्गत इसका अंग्रेजी अनुवाद भी राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है।

अब यदि कोई इस तरह की गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है तो इसे सेवा नियमों का उल्लंघन माना जायेगा, जांच, निलंबन और पद से हटाए जाने की कार्यवाही भी हो सकती है।बताया तो ये भी जा रहा है कि अधिकारियों कर्मचारियों की आर्थिक गतिविधियों पर आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग की कड़ी निगरानी होगी।

कुछ कर्मचारी इस आदेश को व्यक्तिगत आज़ादी पर हमला मान रहे हैं, तो कुछ अधिकारी इसे “स्वागतयोग्य सख्ती” बता रहे हैं।
एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के अनुसार “सरकारी सेवा बाजार नहीं है, और कर्मचारी दलाल नहीं! यह फैसला देर से सही, मगर जरूरी है।”

इस फैसले से सरकार ने साफ कर दिया है अब सरकारी सेवा में कोई ‘नवीन पोर्टफोलियो मैनेजर’, ‘ऑप्शन गुरु’, या ‘क्रिप्टो स्टार’ बनने का सपना देख रहा है, तो उसे दो ही रास्तों में से एक चुनना होगा या तो सरकारी कुर्सी, या बाजार की दीवानगी!

यह सिर्फ एक अधिसूचना नहीं, बल्कि व्यवस्था की शुद्धिकरण प्रक्रिया है।
अब सरकारी कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी सिर्फ दफ्तर तक सीमित रहेगी बाजार का लोभ, क्रिप्टो की चालबाज़ी और डेरिवेटिव की जुआखोरी अब सेवा के साथ नहीं चल सकती।

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