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किरीट ठक्कर। हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ में निजी सुरक्षा एजेंसीज का धंधा खूब फल फूल रहा है, और इसी के साथ इन प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विसेज की कारगुजारियां भी अपनी सीमा रेखा लांघ रही है।
रायपुर के डॉ.भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय में मरीजों तथा उनके परिजनों के साथ, यहां तैनात निजी कंपनी के सुरक्षा गार्ड्स के द्वारा दुर्व्यवहार,वर्षो पुराना रवैय्या है। हाल ही में ये बात तब बढ़ी, जब पिछले दिनों इन निजी कंपनी के सुरक्षा कर्मियों ने अपनी हद से बाहर जाकर कुछ पत्रकारों से मारपीट और दुर्व्यवहार कर डाला।
एक तात्कालिक घटना पर नजर डालें तो गरियाबंद के जिला अस्पताल में एक निजी सुरक्षा एजेंसी की महिला सुरक्षा गार्ड द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाये जाने का मामला बेहद सुर्खियों में है, जिसे हाई कोर्ट बिलासपुर द्वारा स्वतः संज्ञान लिया गया है।

अब यदि मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो गरियाबंद कलेक्टर के द्वारा हाई कोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि, कई अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। वहीं, निजी एजेंसी का ठेका समाप्त कर दिया गया है। हालांकि इस रिपोर्ट्स के वास्तविक तथ्यों का आंकलन भी जरूरी है।

खैर ये अलग मुद्दा है और आगे हम बात करते हैं निजी सुरक्षा एजेंसियों और उनके कारिंदों की, बात तब बिगड़ती है जब कोई अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम करता है, आपने और हमने अक्सर देखा है कि आजकल अस्पतालों, बैंकों, में या कुछेक अन्य संस्थानों में प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस के कर्मियों को सुरक्षा के नाम पर तैनात किया जा रहा है। इस तैनाती में महिला गार्ड्स को प्रमुखता दी जाती है, ताकि किसी विकट परिस्थितियों में महिला सुरक्षा कानून का पूरा लाभ उठाया जा सके।
दरअसल इन सुरक्षा एजेंसियों को अच्छी तरह पता है कि महिला की रिपोर्ट पर तुरंत एफआईआर होना है, वो ये भी जानते हैं कि आम जनमानस इसी कानून के भय की वजह से इन महिला सुरक्षा गार्ड्स से उलझने से बचते हैं, और दुर्व्यवहार का शिकार होते है।
इस कानूनी पक्ष का भरपूर फायदा उठाया जा रहा है, अब इससे होता ये की इन महिला गार्ड्स को भी धीरे धीरे इन बातों का एहसास होने लगता है, जिसके बाद, चाय से ज्यादा केतली गर्म की स्थिति होने लगती है।
बैंकों में तैनात निजी कंपनी के सुरक्षा गार्ड, सुरक्षा के बजाये बैंको में, जाने- अनजाने या जानबूझकर, बैंकिंग कार्य में इन्वाल्व हो जाते हैं, और कुछ दिनों बाद खुद को साहब कहलवाना पसंद करते हैं। सुरक्षागिरी एक तरफ धरि रह जाती है और साहबी अखड़पन का फितूर सर चढ़ कर बोलने लगता है।
यहां फिर हम रायपुर के मेकाहारा की बात करेंगे, जहां काल मी सर्विस के बाउंसर्स/ गार्ड्स के द्वारा कुछ पत्रकारों के साथ बेहूदगी बत्तमीजी और मारपीट की गई थी, वो तो भला हो रायपुर के पत्रकारों की एकजुटता का, वरना इन्होंने उन दो चार पत्रकारों की लंम्बी- खींच तान कर ही दी थी, जो वहां कव्हरेज के लिये गये थे।
सुरक्षा एजेंसियों पर बड़ी कार्रवाई
सुरक्षा एजेंसियों से सम्बंधित एक जानकारी ये भी है कि कुछ दिनों पहले ही छत्तीसगढ़ में आबकारी विभाग द्वारा, मैनपावर सप्लाई और सुरक्षा एजेंसियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। विभागीय जांच में गंभीर अनियमितता और लापरवाही के सामने आने के बाद सात कंपनियों पर डेढ़ करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। इनमें दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार, रायपुर और बालोद जिले की प्रमुख एजेंसियां शामिल हैं।
सबसे बड़ी कार्रवाई रायपुर की बीआईएस लिमिटेड पर की गई है। आबकारी विभाग द्वारा इस कंपनी पर 1 करोड़ 55 लाख 65 हजार 480 रुपये का जुर्माना लगाया गया है, आरोप है कि कंपनी ने संविदा कार्यों में निर्धारित शर्तों का पालन नहीं किया। वहीं दंतेवाड़ा की रक्षक सिक्योरिटी पर सुरक्षा प्रबंधन और कर्मचारियों की तैनाती में गड़बड़ी करने पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
बलौदाबाजार की एसआइएस लिमिटेड पर श्रम कानून और संविदा नियमों का पालन न करने पर 4.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसी तरह बालोद जिले की कैप्टन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पर 50 हजार रुपये का दंड ठोंका गया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बाकी जिलों की एजेंसियों की भी जांच जारी है और दोषी पाये जाने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
जुर्माने की राशि कंपनियों से वसूली जायेगी और भविष्य में इन एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है। विभाग का यह कदम संविदा एजेंसियों को सख्त संदेश माना जा रहा है कि नियमों की अनदेखी पर अब भारी कीमत चुकानी होगी