गरियाबंद / नवापारा – राजिम। प्रति वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुजराती समाज द्वारा अपने आराध्य गुरु जलाराम बापा की जन्म जयंती मनाई जाती है, इसी क्रम में आज बुधवार 29 अक्टूबर 2025 को गुजराती समाज नवापारा-राजिम द्वारा जलाराम बापा का 226 वाँ जन्म-जयन्ति उत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है।

इस अवसर पर नवापारा नगर में प्रातः 06 बजे प्रभात फेरी आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में गुजराती समाज के महिला-पुरुष -युवा और बच्चे सम्मिलित हुये।
जलाराम जयन्ति उत्सव आयोजन के सम्बंध में समाज के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नगर में दोपहर 12.00 बजे से भिक्षुक भोजन का आयोजन किया गया है, जबकि शाम 7.00 बजे से भजन कीर्तन और महाआरती आयोजित है। रात्रि 9.00 बजे सामूहिक महाप्रसादी भोज की व्यवस्था की गई है।
सदाव्रती जलाराम जीवन
संत श्री जलाराम बापा का जन्म विक्रम संवत 1856 के कार्तिक सुद सप्तमी के दिन लोहाणा समाज के ठक्कर कुल में हुआ था। वे भगवान श्रीराम के परम भक्त थे। गृहस्थ जीवन और व्यवसाय में उनकी कोई रुचि नहीं थी – वे सदैव साधु-संतों, धर्म-दर्शन पर निकले यात्रियों और जरूरतमंदों की सेवा में तत्पर रहते थे।
16 वर्ष की आयु में उनका विवाह आटकोट निवासी प्रागजीभाई ठक्कर की सुपुत्री वीरबाई के साथ हुआ था, वीरबाई भी अत्यंत धार्मिक और संत स्वभाव की थीं। दोनों ने मिलकर गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा को ही अपना जीवन-लक्ष्य बना लिया।
18 वर्ष की आयु में जलाराम बापा फतेहपुर के “भोजा भगत” के शिष्य बने और उन्हें “श्रीराम” नाम का गुरु मंत्र प्राप्त हुआ। गुरु के आशीर्वाद से उन्होंने पवित्र “सदाव्रत” की स्थापना की -जहाँ साधु-संतों और जरूरतमंदों को वर्ष भर, चौबीसों घंटे भोजन सेवा दी जाती है। यह पवित्र परंपरा गुजरात के वीरपुर में आज भी निरंतर जारी है।







