पानी की टंकिया बनी शो पीस : गरियाबंद जिले में जल जीवन मिशन का बुरा हाल

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स्थिति बताने पर अधिकारी बेशर्मी से मुस्कुरा कर कहते हैं ,यहां की क्या बात ….पूरे छत्तीसगढ़ में यही हाल है।

किरीट ठक्कर, गरियाबंद। ग्रामीण भारत के सभी घरों में 2024 तक व्यक्तिगत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना जल जीवन मिशन का उद्देश्य या लक्ष्य रहा है। किन्तु ये सब केवल कागजों में पढ़ने लिखने की बातें हैं, जमीनी हकीकत से दूर, 2024 को गुजरे छः महीने हो गये है। जबकि जिले के कई गांवों में इस मिशन के तहत सड़कों, गलियों में गड्ढे, खुले या टूटे-फूटे वाटर चेम्बर, घरों के अंदर नल के लिये खड़े किये गये ठूंठ, जिनमें कभी पानी आयेगा ….ये सोचकर ही पंचायत सीरियल का किरदार ” बिनोद , गहरी हास्यास्पद मुस्कान बिखेर देता है।

देवभोग ब्लॉक के मूँगिया में निर्मित पानी की टंकी को तीन साल हो गये है ….पानी का इंतजार करते करते, अगर फिजिकल स्ट्रक्चर बोल सकते.. तो जरूर कहते ..पूछते ..क्यों बनाया ?

देवभोग ब्लॉक के ग्राम मुंगिया में ही इस योजना की पोल खुलकर सामने आ गई है, ऐसा नहीं है बहुत से ऐसे गांव मिल जायेंगे। जहां बीते वर्षों में पानी की टंकी का निर्माण,अधूरा,औचित्यहीन या निम्न स्तर का किया गया है।

पाईप लाइन का विस्तार के नाम पर गांव की गलियों सड़कों में गड्ढे खोद दिये गये है। ग्राम मुंगिया में जल जीवन मिशन की टंकी तो बन गई है लेकिन यह सिर्फ शोपीस बनकर रह गई है, न तो इसमें कभी पानी भरा गया और न ही इससे जुड़ी पाइपलाइन का काम पूरा हुआ है।

जल जीवन मिशन के ठूंठ

नलों के लिये चबूतरा निर्माण भी अभी तक अधर में लटका हुआ है। इससे ग्रामीणों को आज तक एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो पाया है। इस गांव के ग्रामीणों को जब पीने के पानी की जरूरत सबसे ज्यादा होती है तब ग्रामीण प्यास से बेहाल हैं। सरकारी दावों की असलियत से क्षुब्ध ग्रामीण,अब सड़क पर उतर कर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।

कमोबेश पूरे जिले का यही हाल है। ” बिनोद , मुस्कुराता है …अधिकारी खीसे निपोरते है।
संवाद से समाधान होगा यही आशा है।

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