आधी रात पहुंचे विधायक जिला अस्पताल , अधीक्षक ने फोन रिसीव करना जरूरी नहीं समझा
गरियाबंद। मंगलवार 5 नवम्बर को जिला मुख्यालय में जिला स्तरीय राज्योत्सव का आयोजन किया गया था। आयोजन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ विधायक धर्मजीत सिंह सहित जिले के दोनों विधानसभा के विधायक तथा बड़ी संख्या में जिला पंचायत व जनपद पंचायत के जनप्रतिनिधि शाम से ही गरियाबंद पहुंच चुके थे। जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी/ कर्मचारी दिन भर आयोजन की तैय्यारी में जुटे हुये थे, किन्तु मुद्दे की बात ये कि जिला अस्पताल के अधीक्षक सिविल सर्जन डॉ मुकेश हेला नदारत थे। बताया जा रहा है कि ऐसा पहली बार नही हुआ, साहब अक्सर ही मुख्यालय छोड़ रायपुर से ही आना जाना लगाये रहते हैं। मंगलवार की देर रात जब राजिम विधायक रोहित साहू अपने समर्थकों के साथ जिला अस्पताल के औचक निरीक्षण में पहुंचे तब स्थितियां उनकी आंखों के समक्ष स्पष्ट हुयी।
जिला अस्पताल की अव्यवस्था व गंदगी देखकर विधायक रोहित साहू ने नाराजगी व्यक्त की, सूत्रों की माने तो उनके समर्थकों ने अनेक बार विभाग प्रमुख अस्पताल अधीक्षक डॉ मुकेश हेला को फोन लगाया, किन्तु साहब ने काल रिसीव नही किया। उन्ही की तरह कई अन्य डॉक्टर ड्यूटी से नदारद मिलें। रोहित साहू ने रात्रि में ही कलेक्टर दीपक अग्रवाल को मोबाईल के माध्यम से स्थिति से अवगत कराया साथ ही अनुपस्थित डॉक्टर्स पर कार्यवाही के निर्देश दिये।
मिली जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में लापरवाही का आलम है। अधीक्षक के गैर जिम्मेदाराना रवैय्ये की वजह से ब्लड बैंक, लैब तथा अन्य चिकित्सकीय सुविधाओं से मरीज वंचित हो रहे हैं।
कुछ विभागीय जानकारों की माने तो अधीक्षक साहब के रिटायरमेंट के कुछ ही माह शेष रह गये है, जिसे देखते हुये उन पर बेफिक्री का खुमार चढ़ गया है। बताते हैं कि इसी मस्ती के आलम में साहब अस्पताल के भीतर, केंद्र सरकार द्वारा संचालित जन ओषधी केंद्र को बाहर करने की बात करते हैं।
20 से अधिक डॉक्टर पदस्थ

जिला अस्पताल में लगे सूचना फलक के अनुसार यहां 20 से अधिक डॉक्टर पदस्थ है। इतनी बड़ी संख्या में पदस्थापना के बावजूद यदि हम सेवा परिणामों का आनुपातिक आंकलन करें तो नतीजा `रिफर , या `सिफर , आता है। यदि मान भी लिया जाये कि भ्रष्टाचार आज व्यवस्था की चौखट पर सर्वमान्य सार्वजनिक स्वीकार्यता की श्रेणी में आ चुका है, फिर भी हम दाल में नमक ही खा सकते हैं, जहर नही।
इससे पहले भी स्वयं कलेक्टर अग्रवाल जिला अस्पताल का निरीक्षण रात्रि काल में दो बार कर चुके हैं, किन्तु व्यवस्था में सुधार नजर नहीं आया।







