80 वर्षीय बुजुर्ग की भूख हड़ताल समाप्त , एसडीएम से मिला कब्जा दिलाने का आश्वासन : दूसरा पक्ष भी आया सामने, राजस्व अधिकारी पर समानांतर प्रक्रिया चलाने का आरोप

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किरीट ठक्कर, गरियाबंद। मैनपुर के 80 वर्षीय बुजुर्ग अहमद बेग अपने ही मकान में आधिपत्य दिलाये जाने को लेकर पिछले 24 घंटे से अधिक समय से भूख हड़ताल में बैठ गये थे।

अहमद बेग अपने ही मकान में कब्जा दिलाने की मांग प्रशासन से कर रहे थे, उनका आरोप था कि मैनपुर स्थित खसरा न 31/ 2 के मकान का कब्जा 10 जून 2025 को उन्हें राजस्व अधिकारियों द्वारा दिलाया गया था। उक्त जमीन पर साजदा परवीन पति साजिद बेग ने कब्जा किया हुआ था, जो उनकी ही पुत्रवधु और पुत्र है, जिन्हें स्थानीय राजस्व अधिकारियों के आदेश के बाद बेदखल किया गया था।
अहमद बेग के अनुसार उन्हें कुछ दिनों के लिये बाहर जाना हुआ, इस दरमियान साजदा परवीन और पुत्र साजिद ताला तोड़कर फिर से  घर में घुस गये।

मामले की सूचना पुलिस थाने में दी गई , किन्तु कोई कार्यवाही नही की गई, मुझे मजबूरन अपनी बेटी के घर में रहना पड़ा।

इस मामले में आज शनिवार दोपहर एसडीएम मैनपुर तुलसीदास मरकाम धरना स्थल गांधी मैदान पहुंचे और अहमद बेग को कब्जा दिलाने का आश्वासन दिया, और भूख हड़ताल समाप्त करवाकर अपने साथ ले गये।

हड़ताल समाप्ति के बाद अहमद बेग ने कहा कि एसडीएम के द्वारा कब्जा दिलाये जाने के आश्वासन के बाद मैं अपनी भूख हड़ताल समाप्त करता हूँ। एसडीएम ने दूसरे पक्ष पर एफआईआर का भी आश्वासन दिया है। मैं संतुष्ट हूँ।

हालांकि पूर्व में अपने पारिवारिक सहमति पत्र की बात पर अहमद बेग मुकर गये और कहा कि 10 जून 2025 को तहसीलदार के दबाव में हमने पंचनामा व सहमति पत्र निष्पादित किया था।
आपको बता दें उक्त सहमति पत्र या जिसे बटवारा नामा भी कह सकते हैं, उसी विवादित भूमि खसरा न 31 / 2 को लेकर है, बटवारे में दोनों पुत्रों को 10 – 10 डिसमिल और पुत्री को 5 डिसमिल दिये जाने का उल्लेख है।

मामला उस वक्त नया मोड़ ले लेता है जब दूसरे पक्ष से साजदा परवीन और उनके पति साजिद बेग भी सामने आते हैं। उनका कहना है कि 10 जून 2025 को राजीखुशी से अनेक लोगों के बीच सहमति पत्र निष्पादित किया गया था, किसी अधिकारी, तहसीलदार या हमने अहमद बेग पर कोई दबाव नही बनाया था। उक्त सहमति पत्र पर अहमद बेग के दोनों पुत्रों, सुपुत्री सहित तहसीलदार के भी हस्ताक्षर है, दबाव किसी एक व्यक्ति पर बनाया जा सकता है, तमाम लोगों पर नही।

साजिदा परवीन और साजिद बताते हैं कि उनका मामला माननीय न्यायालय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 1 गरियाबंद के समक्ष विचाराधीन है। प्रकरण क्रमांक 13 / 2024 की आगामी सुनवाई 03 सितंबर 2025 को है, उसके बावजूद राजस्व अधिकारी समानांतर प्रक्रिया चला रहे हैं।

अपने पक्ष में वें छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर का एक परिपत्र प्रस्तुत करते हैं जो 8 अप्रैल 2021 को छत्तीसगढ़ के समस्त कलेक्टरों को जारी किया गया था, जिसकी विषय वस्तु में छत्तीसगढ़ के राजस्व न्यायालयों के व्दारा भूमि संबंधी विवाद में ऐसे प्रकरण जिनमें पूर्व से माननीय उच्च न्यायालय या अन्य सिविल न्यायालय में वाद, अपील या याचिका लंबित है तथा जिसमें अंतरिम आदेश यथा स्थगन यथास्थिति के आदेश हों ऐसे प्रकरणों में प्रस्तुत आवेदन एवं आवेदनों पर की जाने वाली कार्यवाही के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश दिये गये है।

उक्त परिपत्र की संदर्भित व्याख्या के अनुसार माननीय उच्च न्यायालय द्वारा यह पाया गया है कि माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष भूमि संबंधी विवाद के लंबित रहने एवं माननीय उच्च न्यायालय के व्दारा अंतरिम आदेश पारित किये जाने के बावजूद भी तहसीलदार स्तर पर उसी भूमि के संबंध में उन्हीं पक्षकारों के व्दारा विवाद की स्थिति में तहसीलदार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किये गये।

तहसीलदार / राजस्व अधिकारी के समक्ष माननीय उच्च न्यायालय के व्दारा पारित अंतरिम आदेश एवं उच्च न्यायालय के समक्ष अपील के लंबित होने की जानकारी देने के बावजूद भी राजस्व अधिकारी के व्दारा पक्षकारों के माध्यम से प्रस्तुत आवेदनों का संज्ञान लिया गया, तथा उन आवेदनों पर प्रकरण दर्ज करते हुये पृथक से समानांतर प्रक्रिया प्रारंभ करते हुये अंतरिम आदेश पारित किये गये जो माननीय उच्च न्यायालय व्दारा पारित आदेश के विपरीत थे।
अतः इन परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ राज्य के सभी पीठासीन अधिकारियों-राजस्व न्यायालयों के संबंध में एतदनुसार निम्नानुसार विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये जा रहे हैं।

जारी किये गये दिशा निर्देशों की कंडिका 02 के अनुसार

राजस्व अधिकारियों को यह स्पष्ट निर्देश दिया जाता है कि ऐसे किसी भी मामले में जिसमें माननीय उच्च न्यायालय या सिविल न्यायालयों में भूमि के स्वामित्व, या बटवारा या अन्य किसी भी प्रकार के विवाद के लंबित होने की जानकारी होने के पश्चात् तथा अंतरिम आदेश जारी किये जाने की जानकारी होने के पश्चात् कोई भी समानांतर प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की जावेगी। राजस्व न्यायालयों के व्दारा ऐसा कोई भी निर्देश या अंतरिम आदेश जारी ना किया जावे जो कि सिविल न्यायालय या माननीय उच्च न्यायालय व्दारा जारी किये गये आदेशों एवं निर्देशों के विपरीत या उनके उल्लंघन में माननीय न्यायालय के व्दारा पारित अंतरिम आदेश से विरोधाभासी हो।

अब सवाल उठता है कि कि क्या जिले के राजस्व अधिकारी, धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल, चक्काजाम जैसी स्थितियों के दबाव में आकर या तात्कालिक समस्या के समाधान की मंशा से छत्तीसगढ़ शासन के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं।

कुछ दिनों पूर्व ही ख़रीपथरा गांव के मुरहा नागेश भी जमीन पर कब्जा दिलाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गये थे, तब कांग्रेस के नेता व जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने सवाल उठाया था कि मैनपुर के एसडीएम अपने ही द्वारा जारी आदेश को बाद में स्वयं ही कैसे निरस्त कर देते हैं।

साजिदा परवीन और साजिद बेग कहते हैं कि खसरा नम्बर 31 / 2 का मामला न्यायालय में लंबित है जिसमें अहमद बेग सहित कलेक्टर भी औपचारिक पक्षकार है, जानते हुये भी एसडीएम मैनपुर के द्वारा समानांतर प्रक्रिया के तहत कार्यवाही की गई है, इस प्रक्रिया के विरुद्ध हम न्यायालय की शरण में जायेंगे।

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