छत्तीसगढ़ की पहली लिंक नहर परियोजना का विरोध : मलेवा अंचल के किसान एक जुट

किरीट ठक्कर, गरियाबंद। डैम से डैम जोड़ो अभियान के तहत 112 किलोमीटर लंबी भूमिगत पाइप लाइन लिंक परियोजना के विरोध में जिले के पीपरछेड़ी रसेला मदनपुर जैसे मलेवा अंचल के करीब 34 गांवो के किसान लामबंद हो गये है।
पैरी घुम्मर संघर्ष समिति के बैनर तले मलेवा अंचल के किसानों ने शुक्रवार ग्राम पीपरछेड़ी में एक वृहद बैठक का आयोजन किया।
इस बैठक में बिन्द्रानवागढ़ क्षेत्र के विधायक जनक राम ध्रुव जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम, संजय नेताम,जनपद पंचायत गरियाबंद के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अलावा बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों के सरपंच सहित ग्रामीण किसान भी उपस्थित रहे।
जल संसाधन विभाग के मुख्य कार्यपालन अभियंता एस के बर्मन भी अपने स्टाफ के साथ इस बैठक में शामिल हुये। उन्होंने ना सिर्फ किसानों की बातों को सुना बल्कि परियोजना की जानकारी से भी सभी को अवगत कराया।
जिस परियोजना का विरोध किया जा रहा है , दरअसल ये राज्य की पहली लिंक नहर परियोजना है, जिसका प्रारूप तैयार है। इसे *सीकासेर -कोडार लिंक परियोजना* का नाम दिया गया है। इस परीयोजना के तहत बड़े व्यास की, *112 किलोमीटर लंबी* पाइप लाइन के माध्यम से गरियाबंद जिले के सीकासेर बांध का अतिरिक्त पानी, महासमुंद जिले के कोडार डैम साथ ही केशवा जलाशय तक पहुंचाया जायेगा।
ये परियोजना करीबन *26 सौ करोड़ रुपये की होगी,* इसमें 200 हेक्टेयर वन भूमि और 35 हेक्टेयर निजी भूमि प्रभावित होगी।
आपको बता दें कि गरियाबंद जिले के मलेवा अंचल में ही 1977 में सीकासेर डैम का निर्माण हुआ है। किन्तु इस क्षेत्र में सिंचाई सुविधा नहीं है। जिस इलाके में बांध का निर्माण हुआ है, उसी क्षेत्र के लोगों को पानी उपलब्ध नहीं है। अब तक सीकासेर जलाशय के पानी से राजिम क्षेत्र में सिंचाई होती आ रही है।
पैरी घुम्मर संघर्ष समिति के किसान इसी बात से नाराज है। जल जंगल जमीन की लड़ाई है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। अधिसंख्य आदिवासी कृषक स्थानीय जल जंगल जमीन पर अपना पहला अधिकार मानते हैं। क्षेत्रीय जल का उपयोग अन्य जिले के जलाशय ले जाकर औद्योगिक उपयोग के भी आरोप है। किसान आर -पार की लड़ाई का निर्णय ले चुके हैं। क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि जनता के साथ है।
क्या कहते हैं अधिकारी ….
डिपार्टमेंट ऑफ वाटर रिसोर्सेज गरियाबंद के एक्सिक्यूटिव इंजीनियर एस.के.बर्मन द्वारा सवालों के उत्तर में बताया गया कि अतिरिक्त वर्षा या बेमौसम बारिश से जब नदी में बाढ़ आती है,तब कई जगहों पर पानी फ्लटेड हो जाता है, ऐसे पानी को जहां पानी नही है या पानी की कमी है, वहां डायवर्ट करके ले जाया जा सकता है। इसके लिये माध्यम होना चाहिये, यही लिंक परियोजना है।

उन्होंने कहा कि सीकासेर से अतिरिक्त पानी ही कोडार ले जाया जायेगा। तय मापदंड के अनुसार जिस उद्देश्य के लिये सीकासेर डैम का पानी है, उस उद्देश्य की प्रतिपूर्ति में एक इंच की भी कमी नहीं होगी।