दान,अनुष्ठान,अक्षय समृद्धि और पुन्यप्राप्ति का एक दिन : अक्षय तृतीया

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गरियाबंद। किरीट ठक्कर

अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज, या अक्ति के नाम से भी जाना जाता है , हिंदू और जैन धर्म के साथ साथ भारत के अनेक धार्मिक अनुयायियों द्वारा मनाया जाने वाला एक बेहद शुभ अवसर है।

वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दौरान पड़ने वाला यह त्यौहार, बहुत महत्व रखता है। इस बार ये त्योहार 30 अप्रैल बुधवार को मनाया जायेगा।

भारत के अन्य प्रदेशों की तरह छत्तीसगढ़ में भी इस शुभ दिन का अत्यधिक महत्व है।

छत्तीसगढ़ में इस दिन किसान अपने खेतों में बीजों का छिड़काव करते हैं, मान्यता है कि इससे फसलों का उत्पादन अच्छा होता है, अन्न का अक्षत भंडार मिलता है। 

छत्तीसगढ़ के लगभग सभी समाज के लोग इस दिन अपने पूर्वज पितरों को जल तर्पण करते हैं। यहां के आदिवासी समुदाय की एक बड़ी आबादी भी इस दिन के महत्व को समझती है। गांव के अन्य हिन्दू धर्म – समाज की प्रथा परंपरा को मान सम्मान देते हुये, बहुत से आदिवासी परिवार भी इस दिन अपने पूर्वजों को तर्पण देते हैं। बहुत से लोग अक्षय तृतीया के बाद ही नई फसल के आम खाना शुरू करते हैं।

छत्तीसगढ़ में विवाह के लिये अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।

इस दिन पूरे ताम- झाम और रीति – रिवाज के अनुसार गुड्डे – गुड़ियों का विवाह कराया जाता है, बच्चों के खेल जैसी इस परंपरा से, बच्चों में आनंद व उत्साह के भाव का संचार होता है, खेल- खेल में बच्चे अपनी परम्परा तथा वैवाहिक संस्कृति रूबरू होते हैं।  

बाल विवाह रोकने टास्क – फोर्स गठित 

अशोक पांडेय , जिला कार्यक्रम अधिकारी, गरियाबंद

गरियाबंद जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी, अशोक पांडेय के अनुसार, राज्य शासन के निर्देशानुसार 2028 तक छत्तीसगढ़ को बाल-विवाह मुक्त राज्य बनाना है।

अक्ति तथा रामनवमी जैसे त्योहारी अवसरों पर बाल-विवाह को पूर्णतः रोकने के प्रयास के लिये जिला टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है।

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