सुरक्षा बलों को मिली बड़ी सफलता : गरियाबंद जिले में चार हार्डकोर नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

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इनमें दो महिला व दो पुरुष है
गरियाबंद। जिले में एक दशक से सक्रिय हार्ड कोर माओवादी द्वारा आटोमेटिक हथियार के साथ जिला पुलिस गरियाबंद, 65 बटा. सीआरपीएफ, 211 बटा. सीआरपीएफ तथा 207 कोबरा के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।

इनमें ,डीव्हीसी रैंक के माओवादी तथा पोलित ब्यूरो सदस्य/सीसीएम मोदेम बालाकृष्णन उर्फ मनोज के प्रोटेक्शन टीम के 03 माओवादी सहित 19 लाख रूपये के कुल 04 हार्ड कोर माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।
डीजीएन डिवीजन के डीव्हीसीएम दीपक उर्फ भीमा मण्डावी 08 लाख ईनामी तथा पोलित ब्यूरो सदस्य/सीसीएम मोदेम बालाकृष्णन उर्फ मनोज के प्रोटेक्शन टीम के कैलाश उर्फ भीमा भोगाम (एरिया कमेटी सदस्य)
05 लाख ईनामी, रनिता उर्फ पायकी (एरिया कमेटी सदस्य) 05 लाख ईनामी, तथा सुजीता उर्फ उर्रे कारम 01 लाख ईनामी माओवादियों द्वारा आत्मसमर्पण किया गया।
नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत शासन की आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति तथा गरियाबंद पुलिस के समर्पण हेतु अपील से प्रभावित होकर आज प्रतिबंधित संगठन सीपीआई माओवादी के डीजीएन डिवीजन के 04 सक्रिय हार्डकोर माओवादियों द्वारा हिंसा एवं विनाश के मार्ग को त्याग कर आत्मसमर्पण किया गया है।
आत्मसमर्पित माओवादियों ने बताया कि संगठन अब विचारधारा से भटक चुका है। वे निर्दोष ग्रामीणों की हत्या, अवैध वसूली, विकास कार्यों में बाधा और छोटे कैडरों के शोषण जैसे कामों में ही लग गये हैं। साथ ही, पुलिस मुखबिरी के शक में ग्रामीणों की हत्या करना, राशन व आवश्यक सामग्री की लूट, ठेकेदारों से पैसा वसूलना और युवाओं को जबरन संगठन में भर्ती करना संगठन की वास्तविकता बन गई है।
आत्मसमर्पित माओवादीयों ने बताया कि शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा, आवास और रोजगार जैसी योजनाओं ने उन्हें प्रभावित किया है । हाल के वर्षों में कई साथियों द्वारा आत्मसमर्पण कर सामान्य जीवन जीने की जानकारी भी उन्हें मिलती रही है।
इस अवसर पर उपस्थित रायपुर रेंज आईजी अमरेश मिश्रा ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान को लगातार बड़ी सफलता प्राप्त हो रही है। सरकार की पुनर्वास नीति के सफलतम परिणाम सामने आ रहे हैं। यह आत्मसमर्पण प्रेरणादायक और हमारे मनोबल को बढ़ावा देने वाला है, हम महसूस करते हैं कि हमारा अभियान सही रास्ते पर चल रहा है।