
किरीट ठक्कर, गरियाबंद। इंडियन नेशनल कांग्रेस के जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया प्रदेश स्तर पर शुरू हो चुकी है। इसी कड़ी में गरियाबंद जिले के कांग्रेस कार्यकर्ता भी नये जिलाध्यक्ष की नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सभी जिलों के लिये पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिये हैं। ये पर्यवेक्षक ब्लॉकों में जाकर कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करेंगे और अधिकतम छह नामों का पैनल तैयार कर हाईकमान को भेजेंगे, जिनमें से एक नाम को अंतिम स्वीकृति दी जायेगी
गरियाबंद जिले के लिये राजस्थान की पूर्व राज्यमंत्री रेहाना चिश्ती को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। वर्तमान जिलाध्यक्ष भावसिंह साहू के नेतृत्व में संगठन कमजोर स्थिति में चला गया है। अब नये जिलाध्यक्ष की नियुक्ति के बाद संगठन में नई ऊर्जा आने की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रदेश के सभी जिलों में अध्यक्षों का चयन किया जाना है। इनमें से 11 जिलों में छह माह पहले ही नये अध्यक्ष नियुक्त हो चुके हैं, जबकि शेष जिलों में प्रक्रिया जारी है। गरियाबंद उन्हीं जिलों में शामिल है, जहां पार्टी अध्यक्ष पद रिक्त है।
वैसे सूत्र बता रहे हैं कि इस बार नियुक्ति पूरी तरह निष्पक्ष रायशुमारी के आधार पर होगी, देखना होगा कि इस बार फिर शुक्ल परिवार की पसंद आधार बनेगी या कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के विचार या मंशा को प्राथमिकता दी जायेगी ?
कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने पर्यवेक्षकों को यह स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि वे बड़े नेताओं के घर बैठकर परामर्श लेने के बजाय सीधे कार्यकर्ताओं से फीडबैक लें। इस प्रक्रिया से कार्यकर्ताओं में उम्मीद जगी है कि संगठन की कमान स्थानीय स्तर पर सक्रिय और समर्पित व्यक्ति को सौंपी जायेगी।
विदित हो कि अब तक गरियाबंद जिले में जितने भी कांग्रेस जिलाध्यक्ष नियुक्त किये गये हैं, वे पूर्व विधायक अमितेश शुक्ल की पसंद पर चुने गये थे। भावसिंह साहू भी उनके करीबी माने जाते हैं। लेकिन उनकी अयोग्यता और खराब प्रदर्शन की वजह से कांग्रेस संगठन की पकड़ जिले में कमजोर पड़ती गई, इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर पार्टी द्वारा आहूत, धरना, प्रदर्शन और आंदोलन बार-बार फ्लॉप साबित हुये हैं। कई मौकों पर तो प्रदेश संगठन के आदेशों का पालन तक नहीं हो पाया। यहां तक कि जिला मुख्यालय में आयोजित बैठकों में भी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति बेहद कम रही।
फिलहाल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की निगाहें नये जिलाध्यक्ष की घोषणा पर टिकी हुई हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बार अगर निष्पक्ष चयन होता है, तो संगठन में नया उत्साह और ऊर्जा आ सकती है।