आईएसबीएम विश्वविद्यालय में “जलवायु परिवर्तन और वन्यजीव पर उसका प्रभाव” विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन

पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण में के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये, क्योंकि यही सच्ची जिम्मेदारी और …

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गरियाबंद/ छुरा। आईएसबीएम विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय द्वारा मंगलवार, 07 अक्टूबर 2025 को “जलवायु परिवर्तन और वन्यजीव पर उसका प्रभाव: चुनौतियाँ एवं संरक्षण रणनीतियाँ” विषय पर एक विशेष अतिथि व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता तथा जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों की वैज्ञानिक समझ को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के स्वागत के साथ हुआ, स्वागत भाषण डॉ. पूनम वर्मा, विभागाध्यक्ष, जैव प्रौद्योगिकी एवं सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग,विज्ञान संकाय द्वारा प्रस्तुत किया गया।

डॉ.पी.विश्वनाथन,अधिष्ठाता (विज्ञान संकाय) ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में पशुओं के महत्व एवं खाद्य श्रृंखला की अवधारणा को सरल एवं वैज्ञानिक ढंग से समझाया। उन्होंने कहा कि “पेड़ नहीं होंगे तो पशु नहीं होंगे,और पशु नहीं होंगे तो पेड़ नहीं होंगे”, जिससे प्रकृति के पारस्परिक संबंध की गहनता स्पष्ट होती है।

डॉ.शुभाशीष विश्वास, छात्र कल्याण अधिष्ठाता ने अपने विचार रखते हुए बताया कि हम पशु दिवस क्यों मनाते हैं, संरक्षण क्या है और इसे अपने जीवन में कैसे अपनाया जा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से संरक्षण को व्यवहारिक रूप में अपनाने का आग्रह किया।

डॉ.एन.के.स्वामी,डीन अकादमिक एवं आईक्यूएसी निदेशक ने “शैक्षणिक गतिविधियों में छात्र सहभागिता” पर प्रेरणादायक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी केवल अध्ययन तक सीमित न रहें, बल्कि अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग सामाजिक, पर्यावरणीय एवं राष्ट्रीय विकास में करें।

डॉ.बी.पी.भोल, कुलसचिव (आईएसबीएम विश्वविद्यालय) ने “संरक्षण संबंधी गतिविधियों में छात्र सहभागिता” पर प्रेरक उद्बोधन देते हुए कहा कि प्रत्येक छात्र को पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये, क्योंकि यही सच्ची जिम्मेदारी और सामाजिक योगदान का प्रतीक है।

मुख्य अतिथि वक्ता डॉ.हेमेन्द्र साहू, सहायक प्राध्यापक (प्राणीशास्त्र), शासकीय कचना धूर्वा महाविद्यालय, छुरा ने अपने व्याख्यान में बताया कि जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण स्वयं मानव है। इसके कारण वन्यजीव आवास, जैव विविधता एवं पर्यावरणीय संतुलन पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने संरक्षण नीति, वैज्ञानिक अनुसंधान तथा सामुदायिक सहभागिता की आवश्यकता पर बल दिया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आनंद महलवार, कुलसचिव डॉ.बी.पी.भोल, डीन अकादमिक एवं आईक्यूएसी निदेशक डॉ.एन.के.स्वामी,छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ.शुभाषिस विश्वास, विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता डॉ.पी.विश्वनाथन, तथा विज्ञान संकाय की विभागाध्यक्ष डॉ.पूनम वर्मा सहित शिक्षकगण एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सुश्री अन्नपूर्णा साहू, सहायक प्राध्यापक (प्राणीशास्त्र) एवं कार्यक्रम संयोजिका द्वारा किया गया।

यह कार्यक्रम विद्यार्थियों में पर्यावरणीय चेतना, वन्यजीव संरक्षण की भावना, तथा जलवायु परिवर्तन की वैज्ञानिक समझ को सुदृढ़ करने में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुआ।

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