गरियाबंद जिला कांग्रेस अध्यक्ष की जंग: कौन बनेगा अध्यक्ष ”काउंटडाउन शुरू,

इस बीच पूर्व मंत्री अमितेश शुक्ल के सुपुत्र भवानीशंकर शुक्ल की दावेदारी ने गरियाबंद के अन्य दावेदारों की मुश्किलें बढ़ा दी है ..

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पर्यवेक्षक रेहाना रियाज़ चिश्ती आज 9 अक्टूबर को पहुंचेंगी गरियाबंद

गरियाबंद। कांग्रेस संगठन में बड़ा फेरबदल तय है। जिला कांग्रेस कमेटी के अगले अध्यक्ष की तलाश अब अंतिम दौर में पहुँच चुकी है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के निर्देश पर नियुक्त पर्यवेक्षक रेहाना रियाज़ चिश्ती 09 अक्टूबर (गुरुवार) को गरियाबंद पहुंचेंगी, वे यहां चार दिनों तक जिले के अलग-अलग इलाकों में रहकर नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगी और नये जिलाध्यक्ष के नाम पर रायशुमारी करेंगी।

आपको बता दें कि “संगठन सृजन अभियान, के तहत कांग्रेस जिलाध्यक्ष को और अधिक सशक्त बनाने की कवायद चल रही है। माना जा रहा है कि इस बार ऐसा चेहरा सामने आयेगा, जो जनता के बीच पकड़ रखता हो और मुद्दा आधारित राजनीति में सक्रिय हो। दावेदार अपने पक्ष में माहौल बनाने की पूरी तैयारी में जुट गये है। इस बीच पूर्व मंत्री अमितेश शुक्ल के सुपुत्र भवानीशंकर शुक्ल की दावेदारी ने गरियाबंद के अन्य दावेदारों की मुश्किलें बढ़ा दी है,चूंकि अमितेश शुक्ल के समर्थक उनके सुपुत्र को सपोर्ट कर सकते हैं। वहीं भवानीशंकर शुक्ल की दावेदारी से गरियाबंद के कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज भी दिख रहे है,ऐसा इसलिये क्योंकि गरियाबंद जिले के कार्यकर्ता राजिम विधानसभा सीट को शुक्ल परिवार के लिये सुरक्षित मानकर उनके लिये ही काम करते हैं। अब जिला अध्यक्ष के लिये उनके सुपुत्र भवानीशंकर शुक्ल भी दावेदारी को दोनों हाथों में लड्डू मान रहे है।

चार दिनों का पूरा कार्यक्रम तय

रेहाना रियाज़ चिश्ती का दौरा 09 से 12 अक्टूबर तक रहेगा।

09 अक्टूबर (गुरुवार) – कांग्रेस भवन, गरियाबंद में पदाधिकारियों, वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात।

शाम 4 बजे – मंगल भवन में पत्रकारवार्ता।

10 अक्टूबर (शुक्रवार) – देवभोग और अमलीपदर ब्लॉक में बैठकें।

11 अक्टूबर (शनिवार) – मैनपुर व गरियाबंद ग्रामीण/शहर ब्लॉक।

12 अक्टूबर (रविवार) – छुरा और फिंगेश्वर ब्लॉक में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से चर्चा।

फेरबदल के संकेत, नये चेहरों को मिलेगी कमान

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिलाध्यक्ष से लेकर ब्लॉक स्तर तक बड़े बदलाव की तैयारी है। राहुल गांधी की सोच के मुताबिक़, इस बार जिलाध्यक्ष वही बनेगा जो पार्टी के प्रति समर्पित, जमीनी मुद्दों पर लड़ाई लड़ने वाला और संगठन में सक्रिय भूमिका निभाता रहा हो।

सूत्र बताते हैं कि जिलाध्यक्ष को इस बार अधिक अधिकार मिलने वाले हैं — यहां तक कि विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार चयन में भी उनकी भूमिका अहम होगी।

गरियाबंद में दावेदारी तेज़, बड़े-बड़े नाम मैदान में

गरियाबंद जिला अध्यक्ष की दौड़ में कई पुराने और नए चेहरे सामने आ रहे हैं —

भवानीशंकर शुक्ल (पूर्व पंचायत मंत्री अमितेश शुक्ल के सुपुत्र)

भावसिंह साहू (वर्तमान जिलाध्यक्ष)

युगल पांडेय (पूर्व उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत गरियाबंद)

शैलेंद्र साहू (पूर्व उपाध्यक्ष, जनपद छुरा)

नीरज ठाकुर, सुखचंद बेसरा, रामगुलाल साहू – ये भी दौड़ में सक्रिय बताए जा रहे हैं।

वर्तमान जिलाध्यक्ष भावसिंह साहू के कार्यकाल में संगठन कई मोर्चों पर कमजोर पड़ा है, राजिम विधानसभा, नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में वे अब यू-टर्न लेकर किसी अन्य स्थानीय नेता को समर्थन देने की तैयारी में बताये जा रहे हैं।

राजनीतिक समीकरण और बढ़ी हलचल

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस बार पर्यवेक्षकों पर स्थानीय नेताओं का दबाव असरदार नहीं होगा। कुछ नेताओं ने प्रभाव डालने की कोशिश की भी, पर नतीजा उम्मीद के मुताबिक नहीं दिखा।

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है —

इस बार जिलाध्यक्ष की कुर्सी सिर्फ संगठन की निष्ठा और जनाधार देखकर दी जाएगी, न कि सिफारिश पर।

गरियाबंद में कांग्रेस नेतृत्व का नया चेहरा कौन होगा, यह कुछ ही दिनों में साफ़ हो जाएगा। लेकिन इतना तय है कि 2028 विधानसभा की रणनीति उसी के हाथ में होगी, जो इस बार जिले का ‘कांग्रेस कमांडर’ बनकर उभरेगा।

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