दीपावली की रौनक फीकी, बाजार तैयार लेकिन जेबें खाली : धान कटाई पर मौसम का ब्रेक, रोजगार योजनायें ठप, जनता को याद आये “कका”

ग्रामीण इलाकों में लोग पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को याद कर रहे हैं। एक किसान ने कहा, “भूपेश कका त्यौहार से पहले बोनस देते थे, जिससे दीपावली की खुशियां दोगुनी हो जाती थीं।

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गरियाबंद / छुरा। रोशनी के सबसे बड़े पर्व दीपावली को अब कुछ ही दिन शेष हैं, लेकिन इस बार बाजारों की चमक-दमक के बीच एक अजीब सी उदासी छाई हुई है। दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठानों को रंग-बिरंगी लाइटों, सजावट और ऑफरों से सजा तो दिया है, मगर ग्राहकों की चहल-पहल न के बराबर है। ग्रामीण अंचलों से मिल रही जानकारी के अनुसार, इस बार दीपावली पर आम लोगों के पास खर्च करने लायक पैसे नहीं हैं। धान की फसल तैयार है लेकिन बारिश और खराब मौसम के चलते कटाई नहीं हो पाई है, जिससे किसानों को अभी तक उनकी उपज की कोई आमदनी नहीं हो सकी है।

रोजगार योजनाओं पर लगा ब्रेक

प्रदेश में सरकार बदलने के बाद ग्रामीण विकास और रोज़गार से जुड़ी योजनाएं जैसे मनरेगा (रोजगार गारंटी योजना) पर भी असर पड़ा है। गांवों में रोजगार मूलक कार्य लगभग ठप्प हैं, जिससे मज़दूर तबका आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। एक ग्रामीण महिला ने कहा, “पहले पंचायत में हर महीने कुछ न कुछ काम मिल जाता था, अब तो कई महीनों से हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

महिलाओं की आमदनी का जरिया भी बंद

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की “गोधन न्याय योजना” के तहत गोबर की खरीद से ग्रामीण महिलाओं को आय का एक बेहतर जरिया मिला था। लेकिन वर्तमान सरकार ने उस योजना को भी बंद कर दिया है, जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो गई है।

“कका” की याद में भावुक जनता

ग्रामीण इलाकों में लोग पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को याद कर रहे हैं। एक किसान ने कहा, “भूपेश कका त्यौहार से पहले बोनस देते थे, जिससे दीपावली की खुशियां दोगुनी हो जाती थीं।”पिछली सरकार के समय त्योहार से पहले किसानों को धान बोनस, मज़दूरों को निरंतर काम और महिलाओं को आय का साधन उपलब्ध होता था, जिससे बाजारों में रौनक रहती थी। लेकिन अब ना काम है, ना बोनस, ना आमदनी – ऐसे में त्यौहार की रौनक भी बेरंग हो चली है।

बाजारों में सन्नाटा, दुकानदार चिंतित

स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि इस बार जितनी उम्मीद थी, वैसी ग्राहकी नहीं हो रही। एक दुकानदार ने बताया, “हमने लाखों का माल स्टॉक किया है, लेकिन ग्राहक ही नहीं आ रहे। दीपावली जैसे बड़े त्यौहार में इतनी मंदी पहले कभी नहीं देखी।”
एक ओर त्योहार नजदीक है, दूसरी ओर जेबें खाली हैं। सरकार से ग्रामीणों की अपेक्षा है कि वह उनकी आर्थिक स्थिति को समझे और दीपावली जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर कोई राहत पैकेज या योजनाएं फिर से शुरू करे। नहीं तो इस बार दीयों की रोशनी भी कई घरों तक नहीं पहुंच पायेगी।

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