हमने आतंकवादियों का धर्म नहीं पूछा, हमने नागरिकों या सैन्य प्रतिष्ठानों को नहीं, आतंकवाद को निशाना बनाया : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

भारत का रक्षा निर्यात 24,000 करोड़ रुपये के पार पहुंचा; वर्ष 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का विश्वास

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दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज हैदराबाद में जैन इंटरनेशनल ट्रेड कम्युनिटी (जेआईटीओ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2025 में होने वाले ऑपरेशन सिंदूर को अपने नागरिकों और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भारत के अटूट संकल्प का सशक्त प्रदर्शन बताया।

उन्होंने कहा, “जब भी भारत का गौरव और सम्मान दांव पर लगा, हमने कभी कोई समझौता नहीं किया। जब हमने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब दिया, तो हम ने आतंकवादियों का धर्म नहीं पूछा – हमने आतंक को निशाना बनायान कि नागरिकों या सैन्य प्रतिष्ठानों को।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की बढ़ती सैन्य और आर्थिक शक्ति का उद्देश्य दूसरों पर प्रभुत्व स्थापित करना नहीं है, बल्कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों, आध्यात्मिक परंपराओं और भगवान महावीर द्वारा सिखाए गए मानवीय आदर्शों की रक्षा करना है।

भारत का रक्षा निर्यात 24,000 करोड़ रुपये के पार पहुंचा; वर्ष 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का विश्वास: राजनाथ सिंह

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में हुई तीव्र प्रगति को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात  जो 2014 में लगभग 600 करोड़ रुपये था, आज बढ़कर 24,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 2029 तक रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। उन्होंने कहा, “तेजस लड़ाकू विमानों से लेकर आकाश मिसाइलों और अर्जुन टैंकों तक, हमारे सशस्त्र बलों को तेजी से भारत में निर्मित प्लेटफार्मों से सुसज्जित किया जा रहा है।”

खिलौनों से लेकर टैंकों तक, हर वस्तु का विनिर्माण करके भारत तेजी से विश्व का विनिर्माण केंद्र बन रहा है।

रक्षा मंत्री ने इसे आत्मनिर्भरता की ओर भारत की यात्रा का प्रमाण बताते हुए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 97 हल्के लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए हुए हालिमे समझौते का उल्लेख किया, जिसमें 64 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है।

उन्होंने कहा, “आज भारत खिलौनों से लेकर टैंकों तक, सब कुछ बनाता है। भारत तेज़ी से दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की फैक्ट्री के रूप में उभरेगा। और यह सब इसलिए संभव होगा क्योंकि सरकार की नीयत स्वच्छ है और उसकी नीतियां राष्ट्रहित में हैं।”

अपने संबोधन में, रक्षा मंत्री ने भारत की आर्थिक वृद्धि की भी चर्चा की क्योंकि यह देश वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद के साथ, यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्टों को संदर्भित करते हुए  उन्होंने कहा कि औसत विकास दर के आधार पर, भारत 2038 तक क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के द्वारा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।

रक्षा मंत्री ने डॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. डी.एस. कोठारी, डॉ. जगदीश चंद्र जैन और डॉ. मीनाक्षी जैन जैसी महान जैन हस्तियों की विरासत की सराहना की, जिनका कार्य आज भी राष्ट्र को प्रेरणा देता है।

उन्होंने भारत की जैन विरासत के संरक्षण के लिए सरकार के प्रयासों की भी सराहना की, जिसमें चुराई गई 20 से अधिक तीर्थंकरों की मूर्तियों की विदेशों से स्वदेश वापसी और जैन धर्मग्रंथों में प्रयुक्त प्राकृत भाषा को भारत की शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्रदान करना शामिल है।

उन्होंने नागरिकों से भगवान महावीर के उपदेशों और जैन धर्म के सिद्धांतों – विशेष रूप से अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह – से प्रेरणा लेने का आग्रह किया, क्योंकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है।

 

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