इधर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की तैय्यारी : उधर कमार परिवार बच्चों सहित खुले आसमान के नीचे

गरियाबंद। एक तरफ स्थानीय प्रशासन आज 15 नवम्बर शुक्रवार को आदिवासी जनजातीय गौरव दिवस मनाने की तैय्यारी में है, तो दूसरी तरफ 14 नवम्बर की रात विशेष पिछड़ी अनुसूचित जनजाती का एक कमार परिवार अपने तीन छोटे बच्चों सहित रात्रि काल में सड़कों पर भटकता नजर आया है।
रात में करीब 10 बजे के बाद देवलाल कमार, उसकी पत्नी रहमत बाई, स्थानीय बस स्टैंड के किनारे खुले आसमान के नीचे जमीन पर सोने को मजबूर थे। उनके तीन बच्चे सो ही गये थे। स्थानीय नागरिकों और कुछ पत्रकारों ने जब उपरोक्त नजारा देखा तब प्रसाशनिक अधिकारियों को सूचित किया गया।
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही
पता चला कि लिटीपारा निवासी कमार महिला रहमत बाई के दोनों पैरों में फ़्रैक्चर है, जिसके ईलाज के लिये पिछले काफ़ी दिनों से जिला अस्पताल में उसे भर्ती किया गया था, रहमत बाई बताती है कि बुधवार की रात 11 बजे अस्पताल कर्मियों तथा गार्ड के द्वारा हॉस्पिटल से निकाल दिया गया। बुधवार की रात किसी तरह हॉस्पिटल परिसर में बिताने के बाद , गुरुवार को किसी तरह बस स्टैंड तक पहुंच गये, और यही डेरा डाल दिया।
मामला सामने आने के बाद,गुरुवार की रात स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों साथ ही नागरिकों द्वारा कमार परिवार को सुरक्षित स्थान रैनबसेरा भेजने की पूरी कोशिश की गई किन्तु पति पत्नी मानने को ही तैय्यार नही थे। दोनों लगातार अस्पताल प्रबंधन पर नाराजगी जाहिर कर रहे थे।
जिला अस्पताल के डॉ हरीश चौहान के अनुसार ये लोग बिना बताये हॉस्पिटल से निकल गये, मामला जो भी हो प्रारम्भिक जानकारी में अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही सामने आयी है। ऐसा पहली बार नही हुआ है, जिला अस्पताल अधीक्षक की लापरवाही, ढीडपन और अड़ियल रवैय्या नगर के नागरिकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल और राजिम विधायक रोहित साहू के औचक निरीक्षण में भी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही लगातार सामने आयी है।
किसी भी तरह की ठोस कार्यवाही के अभाव में लापरवाही का सिलसिला बदस्तूर जारी है। ऐसे में अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं।