नगर पालिका निर्वाचन गरियाबंद : बीजेपी से 17 दावेदार, कांग्रेस की विषम स्थिति

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किरीट भाई ठक्कर,गरियाबंद । नगर पालिका के आसन्न चुनावों की चर्चा रोचक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। विदित हो कि इस बार नगर पालिका परिषद गरियाबंद का अध्यक्ष पद अनारक्षित है। पिछली बार के अनुभव, और हॉर्स ट्रेडिंग की घटनाएँ कांग्रेस के लिये एक चुनौतीपूर्ण संदर्भ रचती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस इस बार किस तरह से अपनी रणनीति तैयार करेगी और क्या पुराने “जयचंदों ” पर फिर विश्वास करेगी या नये चेहरों को मौका देगी।

 

भाजपा का परिदृश्य:

भाजपा के खेमे में आरएसएस, हिंदुत्व और अनुभवी चेहरों की चर्चा है। हालांकि, किसी भी उम्मीदवार के लिये केवल संगठनात्मक पृष्ठभूमि या धार्मिक पहचान काफी नहीं होती। जनता के बीच उसकी साख और विकास कार्यों की प्रामाणिकता अहम हैं। भाजपा के पुराने चेहरों पर विकास कार्यों से जुड़े सवालिया निशान उन्हें कमजोर कर सकते हैं।

साई उद्यान

कांग्रेस का समीकरण:

ओबीसी मतदाता बहुलता के कारण कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार भी ओबीसी वर्ग से होने की संभावना है। लेकिन पिछले चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग जैसी घटनाओं ने कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचाया। यदि पार्टी पुराने विश्वासघातियों पर भरोसा करती है, तो उसे जनता के बीच स्पष्टीकरण देना मुश्किल होगा।

जातिगत गणित:

इस बार के चुनाव में जातिगत समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। ओबीसी वोट निर्णायक रहेंगे, लेकिन एसटी और एससी वोटों का सही उपयोग समीकरण बदल सकता है। यदि भाजपा एससी वर्ग से अपने अनुभवी चेहरे को मैदान में उतारती है, तो यह कांग्रेस के लिये एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

निष्कर्ष:

कांग्रेस के लिये यह चुनाव नये और प्रभावशाली चेहरे को सामने लाने का अवसर हो सकता है। यदि वह पुराने जयचंदों पर निर्भर रही, तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं भाजपा अपने उम्मीदवार की जनप्रियता और विश्वसनीयता पर ध्यान देगी, तो उसे सत्ता में वापसी का मौका मिल सकता है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियाँ रणनीतिक रूप से कैसे कदम उठाती हैं और जनता किसे अपना समर्थन देती है।

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