ढाई साल बाद उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ : जंगल में पोखरों से लौटती उम्मीद, विलुप्तप्राय वन्यप्राणियों का उन्मुक्त विचरण यहां दिखता है

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किरीट ठक्कर। गरियाबंद पर्यावरण संरक्षकों, प्राकृति व वन्यजीव प्रेमियों के लिये इन दिनों उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व से मिल रही सूचनायें और ट्रैप कैमरे में नजर आ रही दुर्लभ वन्यप्राणियों की तस्वीरें उत्साह वर्धक और राहत भरी है।

आपको बता दें कि उदंती सीता नदी अभ्यारण क्षेत्र में, वन्यजीवों के अध्ययन और निगरानी के लिये सौ से अधिक ट्रैप कैमरे लगाये गये है। इन स्वचलित कैमरों में वन्यजीवों की गतिविधियों को रिकार्ड किया जा रहा है, जिससे उनके व्यवहार, आवास और संरक्षण के प्रयासों के लिये महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त होता है।

ट्रैप कैमरे से वन्यजीवों की उपस्थिति, प्रजातियों के बीच अंतर संबंधों, और मानव गतिविधियों के प्रभाव को समझने में मदद मिल रही हैं, जिससे उनके संरक्षण के प्रयासों को प्रभावी बनाया जा सकता है। उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व विभिन्न स्थानों में लगे ट्रैप कैमरे में हाथी, तेंदुआ,भालू, नील गाय, हिरन, कबर बिज्जू ,जंगली सुकर और अन्य दुर्लभ वन्यप्राणियों की तस्वीरें नजर आ रही है।

ढाई साल बाद दिखा बाघ

करीब ढाई साल के लंबे इंतजार के बाद उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व एक बार फिर टाइगर की मौजूदगी दर्ज हुई है। इस बार बाघ की पहली स्पष्ट तस्वीर रिजर्व के ट्रैप कैमरे में कैद हुई है, जिसकी आधिकारिक पुष्टि डीएफओ वरुण जैन ने की है।
इससे पहले 13 दिसम्बर 2022 को आखरी बार इस अभ्यारण में बाघ नजर आया था।

यूरेशियन ओटर की रिकॉर्डिंग उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में

कुछ दिनों पूर्व ही छत्तीसगढ़ के उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में यूरेशियन ओटर ( ऊदबिलाव ) की पहली रिकार्डिंग कैमरा ट्रेप के माध्यम किये जाने में सफलता प्राप्त हुई है।

इसके अतिरिक्त 24 और 25 मई शनिवार – रविवार को अभ्यारण में नीलगाय और गौर के झुंड का स्वछंद विचरण देखा गया है।

डीएफओ वरुण जैन ने बताया कि वन्य प्राणियों के लिये यह अभ्यारण मध्य भारत का सबसे अच्छा रहवास क्षेत्र है।

अभ्यारण क्षेत्र में एंटी पोचिंग यूनिट एवं फील्ड स्टाफ द्वारा बाघ विचरण क्षेत्रों में लगातार गश्ती एवं सुरक्षा कार्य किया जा रहा है , इसके अलावा सोलर पंप के माध्यम से तालाबों पोखरों में पानी की व्यवस्था की गई है, जिससे वन्यजीवों को पानी के लिये मानव बस्तियों की ओर जाने की जरूरत ना पड़े। पिछले करीब दो वर्षों में अभ्यारण क्षेत्र में हाथियों से एक भी जनहानि नही हुई है।

पिछले दो वर्षों में अवैध शिकार और अवैध कटाई रोकने 40 से ज्यादा एंटी पोचिंग ऑपरेशन किये गये है। डीएफओ वरुण जैन के अनुसार उजड़े वनों को सुधारने की दृष्टि से 700 हेक्टेयर वन क्षेत्र से अवैध अतिक्रमण हटाया गया है। इन प्रयासों के परिणाम स्वरूप अब धीरे धीरे जंगल की रौनक लौट रही है।

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