गरियाबंद। जिले की ग्राम पंचायत आमदी म में सरपंच पति द्वारा पंचायत के कामकाज में हस्तक्षेप और मनमानी का मामला एक बार फिर सामने आया है। इस बार उन्होंने मोहल्लेवासियों की सहमति के बिना चार साल पुराने सार्वजनिक कूड़ादान को तुड़वा दिया, जिससे मोहल्लेवासियों में गहरी नाराजगी है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से स्थापित कूड़ादान को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के हटा दिया गया है, जिससे कचरा निस्तारण में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, चार साल पहले शिक्षक कालोनी के वॉर्ड क्रमांक 09 में सरकारी लागत से मोहल्ले के लिये एक बड़ा कूड़ादान रखा गया था, जहां गांव का सारा कचरा एकत्रित किया जाता था। परंतु हाल ही में उसे अचानक हटा दिया गया और अब मोहल्लेवासियों के पास कचरा फेंकने के लिये कोई निश्चित स्थान नहीं बचा है। इसका नतीजा यह है कि कचरा अब सड़कों पर बिखर रहा है, जिससे न सिर्फ कालोनी की सुंदरता प्रभावित हो रही है बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी बढ़ गये हैं।
मोहल्लेवासियों ने कहा कि कूड़ादान हटाने के पहले हमसे कोई राय नहीं ली गई। कूड़ादान हटाने की कोई जरुरत थी भी नहीं । इससे कालोनी की सफाई व्यवस्था बेहाल हो जायेगी।
पेशे से शिक्षक, पंचायत में दखल
मोहल्लेवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि सरपंच पति, जो पेशे से शिक्षक हैं, पंचायत के हर काम में हस्तक्षेप करते हैं और निर्वाचित प्रतिनिधियों की जिम्मेदारियों को दरकिनार कर फैसले लेते हैं। उनका कहना है कि पंचायत का काम केवल निर्वाचित प्रतिनिधि और ग्राम सभा के माध्यम से ही चले, न कि उनके परिजनों के इशारों पर।
विदित हो कि इससे पहले भी सरपंच पति द्वारा, तिवारी परिवार के वर्षों पूर्व बनाये गये पूर्वजों के मठ को भी तुड़वा दिया था, जिसके बाद पीड़ित परिवार द्वारा पुलिस थाने में सरपंच पति के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मामले में पुलिस कार्यवाही लंबित है। एक महीने के भीतर सरपंच पति के पंचायत कार्यों में दखल और मनमानी का यह दूसरा मामला सामने आ गया है।