छत्तीसगढ़ के मीडिया पर्सन के लिये अस्पतालों में “नो एंट्री ” ?

किरीट ठक्कर। छत्तीसगढ़ शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग रायपुर के नवीनतम आदेशों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में अब मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। केवल पूर्व-लिखित अनुमति मिलने पर ही पत्रकार किसी रिपोर्टिंग के लिये अस्पताल परिसर में प्रवेश कर सकते हैं। यही नहीं, कवरेज की समय-सीमा, विषयवस्तु और प्रक्रिया आदि सब कुछ, अब अस्पताल प्रशासन तय करेगा।
इस आदेश का ना सिर्फ छत्तीसगढ़ कांग्रेस द्वारा आक्रमक विरोध किया जा रहा है, अपितु पत्रकारों में भी इसे लेकर रोष व्याप्त हो गया है।
रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर लिखते हैं –
पत्रकार डरते नहीं हैं, और लिखेंगे और बोलेंगे,
स्वास्थ्य मंत्री Shyam Bihari Jaiswal ने आपराधिक तत्वों को मिट्टी में मिलाने का वादा किया था। पत्रकारों को काम करने और सच दिखाने से नहीं रोका जायेगा, इसका वादा किया था, लेकिन किया उल्टा। मीडिया पर ही पाबंदी लगा दी।
यह छत्तीसगढ़ सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की गलतफहमी है कि इस तरह की पाबंदी से खबरों को दबा देंगें। मूर्ख अधिकारियों को कोई बताये कि खबरों को न रोका जा सकता, न छिपाया जा सकता है। खबरें खुद चीखकर बाहर आ जाती है।
प्रफुल्ल ठाकुर कहते हैं कि, छत्तीसगढ़ सरकार की इस मीडिया सेंसरशिप पर रायपुर प्रेस क्लब कड़ा ऐतराज जताता है। हम इसके विरोध में हैं। हम रायपुर और प्रदेशभर के प्रेस क्लब और पत्रकार साथियों से चर्चा कर इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
माननीय मुख्यमंत्री Vishnu Deo Sai जी स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार पर चुप्पी तोड़िए। भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई कीजिए। माननीय मंत्री को समझाइए।
आपका स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार में सबसे बदनाम विभाग है। यह आदेश निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार और अनैतिक कार्यों पर पर्दा डालने की एक नाकाम कोशिश है।
इस आदेश से तय हो गया है कि स्वास्थ्य विभाग बीमार है। और अधिकारी सनक में हैं। हमारा जो शक था कि अस्पतालों में आखिर हो क्या है, वह शक और पुख्ता हो गया है। अब हम इसके खिलाफ और लिखेंगे और बोलेंगे। सच को खोद निकालेंगे।
पत्रकारों की आवाज सरकार नहीं दबा सकती। जनता का गला नहीं घोटा जा सकता। माननीय मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार का यह बहुत गलत कदम है। बहुत गलत फैसला है। आपके पास पुनर्विचार का मौका है। देख लीजिए।
वरना पत्रकार तो पत्रकारिता करेगा ही, चाहे जो हो जाये। पत्रकार डरते नहीं हैं।
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता टी एस सिंहदेव ने इस आदेश के विरोध में कहा कि मीडिया अगर किसी अस्पताल में अव्यवस्था, डॉक्टरों की अनुपस्थिति, या दवाइयों की कमी पर रिपोर्टिंग करता है, तो वह जनहित का कार्य कर रहा होता है, ना कि किसी की गोपनीयता का उल्लंघन।
उन्होंने छत्तीसगढ़ की वर्तमान भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि,
“सच छुपाने से नहीं, सुधार से बनेगी व्यवस्था!”
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यदि कोई मीडिया संस्थान भ्रामक या गलत जानकारी प्रसारित करता है, तो भारतीय क़ानूनों में पहले से ही मानहानि, प्रेस परिषद, और आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ल का कहना है कि, साय सरकार द्वारा अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाने की बजाये, अव्यवस्था छुपाने मीडिया को बैन किया जा रहा है, ये एक चिंताजनक स्थिति है। मीडिया की स्वतंत्रता को सीमित करना….समस्या का समाधान नहीं है।